1. स्वरज्ञान - सात शुद्ध स्वरों को गाना एवं पहचानना।
2. राग ज्ञान - यमन, भैरवी, देस, असावरी, काफी (प्रत्येक राग में सरगम एवं एक छोटा ख्याल)
3. निर्धारित रागों में लगने वाले शुद्ध एवं विकृत स्वरों की प्रायोगिक जानकारी
4. निर्धारित रागों के आरोह, अवरोह पकड़ की प्रायोगिक जानकारी।
5. ताल - त्रिताल, एकताल, कहरवा एवं दादरा की मौखिक जानकारी और ठाह व दुगुन।
6. भजन/लोक गीत