हस्तमुद्राएँ (असंयुक्त)- सर्पशीर्ष, मृर्गशीर्ष, सिंहमुख, कांगुल, अलपद्य, चतुर, भ्रमर, हंसास्य, हंसपक्ष, संदश, मुकुद, ताम्रचूड, त्रिशुल, व्याघ्र, अर्धसूची, कटक, पल्ली
नटनभेद (नाट्य, नृत्त, नृत्य)
पारिभाषिक शब्दः परन, चक्रदारपरन, कवित्त, गुरुवंदना, स्तुति, गतभावअंग, प्रत्यंग, उपांग, प्रिमलू
जीवनी एवं योगदानः बिन्दादीन महाराज, सुंदरप्रसाद, पं. मोहनराव कल्याणपुरकर।
सीखे गये बोलों को लिपिबद्ध करने का अभ्यास।
पाठ्यक्रम में निर्धारित तालों को ठाह (बराबर), दुगुन, चौगुन को ताल- लिपि में लिखने का अभ्यास।
ठेका-रूपक,एकताल,धमार
अभिनय दर्पण के अनुसार पात्र लक्षण का वर्णन।
सीखे हुए बोलो को लिपिबद्ध करना।