1. अभिनय दर्पण के अनुसार ग्रीवा-भेद (इनका कथक नृत्य में उपयोग)
2. पारिभाषिक शब्दः हाव-भाव, कसक-मसक, कटाक्ष, अंदाज, थाट।
3. अभिनय दर्पण के अनुसार शिरो-भेद-इनका कथक नृत्य में उपयोग।
4. संयुक्त हस्त मुद्राएं-अंजली, कपोत, कर्कट, स्वास्तिक, डोला, पुष्प पुट, उत्संग, शिवलिंग, कटक वर्धन,
कर्त्तरी स्वास्तिक, शकट, शंख, चक्र, सम्पुट, पाश, कीलक, मत्सय, कूर्म, वराह, गरूड़, नागबन्ध,
खट्वा, भेरूदण्ड।
5. जीवनी एवं योगदान : पं. कुंदनलालजी, श्रीमती रोहिणी भाटे, सितारा देवी
6. संक्षिप्त परिचय-ताण्डव, लास्य, नटवरी, प्रमेलू, द्रुत, मध्य, विलम्बित, नगमा।
7. सीखे गये बोलों को लिपिबद्ध करने का अभ्यास।
8. निर्धारित तालों को ठाह, दुगुन, चौगुन को लिपिबद्ध करने का अभ्यास-
ठेका-एक ताल, चौताल, सवारी (15 मात्रा)।
9. नवरस, नायक-नायिका भेद का संक्षिप्त परिचय।
ऽ कथक नृत्य शिक्षा-पुरू दाधीच भाग-2
ऽ कथक प्रवेशिका-तीरथ राम आजाद
- भारत के शास्त्रीय नृत्य-छाया भटनागर
- कथक परंपरा-डॉ. प्रेम दवे (पंचशील प्रकाशन)
- कथक प्रसंग-रश्मि वाजपेयी
- अंग काव्य - पं. बिरजू महाराज
- गजुंन - पं. बिरजू महाराज