स्वरज्ञान-सात शुद्ध स्वरों को गाना एवं पहचानना।
रागज्ञान-यमन, भैरवी, भैरव, असावरी, काफी (प्रत्येक राग में सरगम एवं एक छोटा ख्याल)
बिंदु 2 में वर्णित रागों में लगने वाले शुद्ध एवं विकृत स्वरों की प्रायोगिक जानकारी
निर्धारित रागों के आरोह, अवरोह पकड़ की प्रायोगिक जानकारी।
ताल-त्रिताल, कहरवा एवं दादरा की मौखिक जानकारी।
भजन/राष्ट्रीय गीत