KATHAK DANCE

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KDN 131

नृत्यकला, नृत्य की उत्पत्ति से संबंधित अवधारणायें।
भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के प्रकार (कथक, भरतनाट्यम, कथकली, कुचिपुड़ी, मणिपुरी, मोहिनीअट्टम, उड़िसी एवं छऊ)

कथक नृत्य में प्रयुक्त होने वाले पारिभाषिक शब्द-
ताल,मात्रा,लय,सम,ताली,खाली,ठेका,ठाह(बराबर),दुगुन,चौगुन,आवर्तन,पल्टा,पढन्त,गत,टुकड़ा,सलामी,आमद, बाँट,तत्कार, गत, थाट
असंयुक्तहस्तमुद्राएँ-पताका,त्रिपताका,अर्धपताका,अर्धचन्द्र,अराल,कर्तरीमुख,सूची, चन्द्रकला, शुकतुन्ड, मुष्ठी, शिखर,
मयूर ,कपित्थय, कटकामुख, पद्मकोष।

घुँघरूओं की विशेषता व महत्व
घरानों की जानकारी (लखनऊ,जयपुर,बनारस)। प्रत्येक घरानों के प्रमुख कलाकारों के नाम।

ताल त्रिताल, ताल झपताल की ठाह (बराबर) दुगुन,चौगुन को ताल लिपि में लिखने का अभ्यास।
ठेका-दादरा, कहरवा

जीवनी-पं. नारायणप्रसादजी, पं. जयलालजी
सीखे हुए बोलो को लिपिबद्ध करना।

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